डायरी
आई.आई.टी. में क्या न करें
इधर चेतन भगत का अंग्रेजी उपन्यास पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। उपन्यास का शीर्षक है फाइव प्वाइंट समवन और उपशीर्षक है व्हाट नॉट टू डू एट आई आई टी। पुस्तक की भूमिका में ही चेतावनी दी हुई है कि यह पुस्तक आई. आई. टी. में प्रवेश पाने की कोई गाईड नहीं है। आई. आई. टी. दिल्ली एक ऐसी संस्था है जिसमें इन्जीनियरिंग के विद्यार्थी प्रवेश पाने की होड़ लगाये रहते हैं, अत: यह लिखना लेखक को जरूरी लगा होगा।
फिलहाल यह उपन्यास तीन मित्रों की कहानी है जो एक साथ भारत की इस लब्धप्रतिष्ठ संस्था में प्रवेश पाते हैं। तीनों अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से आये हैं। आलोक एक गरीब परिवार से है जिसके पिता बीमार हैं, माँ किसी तरह घर का काम चलाती है और उसे एक बहन की शादी करनी है। हरी अर्थात कहानी का नैरेटर मध्यवर्गीय है और उसमें पारिवारिक कारणों से आत्मविश्वास का अभाव है। रियान सम्पन्न घर का है और थोड़ा विद्रोही है।
रियान दोनों को रैगिंग से बचाता है और यहीं से एक मित्रता शुरू होती है जिसका नतीजा अच्छा नहीं निकलता दिखता। मौज मास्ती में तीनों मित्रों के ग्रेड खराब होने लगते हैं और वे उसे बचाने के लिए उल्टे सीधे काम करने लगते हैं। बीच में प्रोफेसर चेरियन की बेटी नेहा है जिसके प्रेमपाश में फंस कर हरी प्रोफेयर के क्रोध का शिकार होता है। कुल मिलाकर मामला बंटाधार।
फाइव प्वाईट समवन का सबसे जोरदार पक्ष है उसका कथानक जो अंत तक बाँधे रहता है। घटनाएँ उटपटांग ढंग से घटित होती हैं और इसका परिणाम है हास्य ही हास्य। हाशिए पर शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी भी है जो है तो आई. आई. टी. पर मगर लागू होंगी पूरी शिक्षा व्यवस्था पर। उपन्यास में प्रोफेसर चेरियन का काल्पनिक भाषण लेखक के अपने विचारों की अभिव्यक्ति है। उपन्यास की अंग्रेजी एकदम टटकी है।
इस उपन्यास को रूपा प्रकाशन ने छापा है।
रघुवंशमणि
05/08/2007
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1 comment:
अच्छा किया आपने सार बता दिया।
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