Thursday, October 15, 2009

पुस्तक का संपादन

ब्लाग बंधुओ,

इधर मैने एक पुस्तक का संपादन किया है जो पंडित प्रेमशंकर मिश्र के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर है। इस पुस्तक को फैजाबाद शहर के ही भवदीय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

पं. प्रेमशंकर मिश्र जी अपने समय के महत्वपूर्ण कवि थे। करीबन साल भर पहले उनका निधन हो गया था। इस पुस्तक का आवरण आप हाशिये पर देख सकते हैं। इस पुस्तक से सम्बन्धित कुछ सामग्री आने वाले दिनों में ब्लाग पर दूंगा।

Monday, March 23, 2009

फ्रीडा

डायरी



फ्रीडा


'यह शव अभी भी साँस ले रहा है।'


फ्रीडा फिल्म के बारे में मुझे बहुत पहले हिन्दी कवि अनिल सिंह ने बताया था। उन्होने यह फिल्म किसी टीवी चैनल पर देखी थी और मुझसे इस फिल्म की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। मैं इस फिल्म को तत्काल नहीं देख पाया। मैने इसे बाद में एक डीवीडी पर देखा तो वाकई यह कमाल की फिल्म लगी। 2002 में बनी यह फिल्म वास्तव में फ्रीडा काहलो के जीवन पर बनी है जो एक मैक्सिकन अतियथार्थवादी चित्रकार थीं और जिनका वैवाहिक जीवन उथल-पुथल से भरा हुआ था। इस फिल्म में सलमा हाएक ने फ्रीडा की भूमिका निभायी है। फ्रीडा अपने युवा जीवन में एक दुर्घटना का शिकार हो जाती है और जीवनभर शारीरिक रूप से निढाल रहती है। अपने दर्द और दुखों को वह अपने चित्रों में बहुत ही मौलिक तरीके से अभिव्यक्त करती है।

युवा फ्रिदा के जीवन में हुई सड़क दुर्घटना उसे निराशा में डुबो देती है। मगर उसके पिता उसे एक कैनवस लाकर देते हैं जिस पर वह चित्र बनाना प्रारम्भ करती है। फिर वह चलना शुरू कर देती है। फ्रिदा का विवाह डीयागो नाम के एक ऐसे पेन्टर से हो जाता है जो वामपंथी है, उन्मुक्त जीवन का आदी है, गैरसमझौतावादी है और फ्रिदा की कला का प्रशंसक है। उसके तमाम स्त्रियों से चले सम्बंधों का फ्रीडा के जीवन पर असर पड़ता है। वह भी प्रेम की तलाश में निकलती है और स्त्रियो तथा पुरुषों से उसके सम्बंध बनते हैं। डीयागो उसे तलाक भी दे देता है। पर बाद में वे पुन: मिलते हैं।

फ्रीडा की जिजीविषा को, उसकी प्रेम की तलाश को यह फिल्म बिना किसी अतिरंजिता के प्रस्तुत करती है। उसके दुख बहुत अधिक हैं मगर वह उन्हे एक कलाकार सुलभ सर्जनात्मक प्रतिरोध के साथ जीती है। इस फिल्म के बहुत से दृश्य पेन्टिग सरीखे हैं और रंगों की उपस्थिति अद्भुत है। पता नहीं क्यों मुजफ्फर अली की फिल्म 'गमन' याद आयी जिसमें कई इस तरह के दृश्य थे। ध्यान देने की बात है कि 'गमन' काफी पुरानी फिल्म है। लेकिन इस फिल्म में बहुत से ऐसे दृश्य हैं जो अतियर्थाथवादी हैं और जो पेन्टिंग्स तक सीमित नहीं।

इस फिल्म की विशेषता इसमें रूसी नेता लियोन ट्रॉटस्की का एक पात्र के रूप में होना भी है जिनकी हत्या का चित्रण भी इस फिल्म में है।

Sunday, February 22, 2009

कपिलदेव की आलोचना पुस्तक

डायरी

कपिलदेव की आलोचना पुस्तक

कपिलदेव हिन्दी साहित्य के सुपरिचित आलोचक हैं। ब्लागर मित्रों में साहित्यिक रुचि के लोग इस नाम से बखूबी परिचित होंगे। उनकी समीक्षाएँ और लेख विभिन्न पत्रि में प्रकाशित होते रहे हैं। बहुत समय से उनकी उनकी आलोचना पुस्तक की प्रतीक्षा थी। अन्तत: यह प्रतीक्षा खत्म हुई और वे अपनी पुस्तक अंतर्वस्तु का सौंदर्य लेकर मैदान में आ गये।

हाल में ही कपिलदेव के अपने ही शहर गोरखपुर में एक भीगी सुबह नामवर जी ने अपनी व्यस्तताओं के बीच समय निकाल कर अन्तर्वस्तु का सौंदर्य का लोकार्पण कर दिया। पुस्तक को विमोचित करते हुए उन्होंने कपिलदेव की समझदारी की भूरि भूरि प्रशंसा की और उनकी कृतियों में निहित आलोचकीय अन्तर्दृष्टि की चर्चा की। 'बाघ' कविता पर उनके लेख की चर्चा करते हुए उन्होंने इसे केदार जी की उक्त कविता पर महत्वपूर्ण समीक्षा माना। कुल मिलाकर नामवर जी ने हिन्दी में एक महत्वपूर्ण आलोचक की पुस्तक का जोरदार स्वागत किया। देर आयद दुरुस्त आयद।

कपिलदेव दर्शनशास्त्र से साहित्य में उतरे हैं इसलिए वे साहित्य के मुद्दों को काफी गहराई तक ले जाकर विचार करते हैं। जो पाठक इस पुस्तक में रुचि रखते हों वे उनकी पुस्तक का मुखपृष्ठ उनके ब्लाग पर देख सकते हैं और अन्य जरूरी बातें जान सकते हैं। इस पुस्तक को मानव प्रकाशन, कलकत्ता ने छापा है।