Tuesday, October 09, 2007

चे ग्वेरा की अन्तिम यात्रा

अनुवाद

चे ग्वेरा की अन्तिम यात्रा

[गार्जियन के लिए रिचर्ड गॉट की रिर्पोट का हिन्दी अनुवाद]

वेलेग्राण्ड, 10 अक्टूबर 1967

पिछली रात पाँच बजे चे ग्वेरा का पार्थिव शरीर दक्षिणी-पश्चिमी बोलीविया के इस पहाड़ी कस्बे में लाया गया।

हेलिकाप्टर से स्ट्रेचर पर बंधे छोटे शरीर के लैंडिंग रेलिंग पर उतरने के साथ ही बाद की सारी कार्रवाही का दायित्व एक सैनिक वर्दी वाले व्यक्ति को सौंप दिया गया जिसके बारे में सभी पत्रकारों का मत है कि वह नि:सन्देह अमेरिका की किसी गुप्तचर एजेन्सी का प्रतिनिधि है। वह सम्भवत: कोई क्यूबन निर्वासित है और इस प्रकार जीवन भर अकेले ही संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुध्द युध्द छेड़ने वाले चे ग्वेरा ने मृत्यु के पश्चात स्वयम् को अपने प्रमुख शत्रु के सामने पाया।

हेलिकाप्टर को जानबूझ कर उस जगह से दूर उतारा गया जहाँ भीड़ एकत्रित थी और मृत गोरिल्ला युध्द के नायक के शरीर को जल्दी से एक वैन में पहुँचाया गया। हमने एक जीप से उसका पीछा करने को कहा और ड्राइवर उस हास्पिटल के गेट से निकलने में सफल रहा जहाँ उनके शरीर को एक छोटे से रंगीन वाश हट में ले जाया गया जो शवगृह के रूप में इस्तेमाल होता था।

वैन के दरवाजे खुले और अमेरिकी एजेन्ट चीखते हुए बाहर कूदा और चिल्लाया 'इसे जल्दी से बाहर करो।' एक पत्रकार ने उससे पूछा कि वह कहाँ से आया है। उसने गुस्से में जवाब दिया, 'कहीं से नहीं।'

ओलिव हरे रंग की फैटिग और जिपर्ड जैकेट पहने पार्थिव शरीर को उस झोपड़ी में ले जाया गया। यह सुनिश्चित तौर पर चे ग्वेरा का ही पार्थिव शरीर था। जब पहली बार मैने जनवरी में उनके बोलिविया में होने की बात अपनी रिर्पोट में लिखी थी, तभी से मैं लोगों की इस बात पर यकीन नहीं करता था कि वे कहीं और हैं।

मैं सम्भवत: उन कतिपय लोगों में से हूँ जिन्होने उन्हें जीवित देखा था। मैने उन्हे क्यूबा में 1963 में एम्बेसी के एक रिसेप्शन पर देखा था और मुझे कोई सन्देह नहीं कि यह चे ग्वेरा का ही पार्थिव शरीर है। काली घुंघराली दाढ़ी, उलझे बाल और दायीं कनपटी पर एक घाव है जो शायद जुलाई की एक दुर्घटना का परिणाम है जब उन्हें एक राइफल की गोली छूकर निकल गयी थी।

उनके पैरों मे मोकासिन्स थीं मानों जंगल में तेजी से दौड़ते समय उन्हे गोली मारी गयी हो। उनके गर्दन के निचले हिस्से में दो गोलियों के लगने के निशान थे और शायद एक गोली उनके पेट में भी मारी गयी थी। ऐसा विश्वास है कि उन्हे तब पकड़ा गया जब वे गंभीर रूप से घायल थे, लेकिन उन्हे युध्द क्षेत्र से बाहर निकालने वाले हेलिकाप्टर के आने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी थी।

मुझे केवल एक बात को लेकर उनकी पहचान पर संदेह था। मेरी स्मृति की तुलना में चे पहले से काफी दुबले हो गये थे, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि महीनों जंगल में रहने के कारण उनके पहले के भारी शरीर में यह बदलाव आया होगा।

जैसे ही पार्थिव शरीर शवगृह में पहुँचा डाक्टरों ने उसमें प्रिजर्वेटिवस डालने और अमेरिकन एजेन्ट ने लोगों को दूर रखने के निष्फल प्रयास करने प्रारम्भ किये। वह बहुत परेशान था और जब भी उसकी ओर कैमरा होता था, वह क्रुध्द हो जाता था। उसे पता था कि मैं जानता हॅॅूं कि वह कौन है। उसे यह भी पता था कि मैं जानता हॅॅूं कि उसे यहाँ नहीं होना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा युध्द था जिसमें अमेरिकी लोगों के होने की आशा नहीं की जाती था।

फिर भी यह शख्स उपस्थित था जो वेलेग्राण्ड में सेना के साथ था और अफसरों से परिचितों की तरह बातें कर रहा था।

शायद ही कोई यह कहे कि चे को ये बातें मालूम न थीं क्योंकि उनका उद्देश्य ही अमेरिका को लाटिन अमेरिका में हस्तक्षेप के लिए उत्तेजित करना था ताकि युध्द पीड़ित वियतनाम को मदद मिल सके। लेकिन वे निश्चित रूप से महाद्वीप में अमेरिकी गुप्तचर एजेसियों की ताकत और पहुँच का ठीक-ठीक अंदाजा लगाने में चूक गये और यही उनके और वोलीवियायी गुरिल्लाओं की असफलता का प्रमुख कारण बना।

अब उनकी मृत्यु हो चुकी है। जब उनके शरीर में प्रिजवेटिव्स भरे जा रहे हैं और भीड़ अन्दर आने के लिए चीख रही है, यह सोचना कठिन है कि यह व्यक्ति एक समय लाटिन अमेरिका के महान लोगों में से एक था।

वह मात्र एक महान गुरिल्ला नायक नहीं थे, वे क्रान्तिकारियों और राष्ट्रपति के मित्र भी थे। उनकी आवाज को अन्तर-अमेरिकी कौंसिल्स के अतिरिक्त जंगलों में भी सुना-समझा जाता था। वे एक डाक्टर, गैरपेशेवर अर्थशास्त्री, क्रान्तिकारी क्यूबा में उद्योग मंत्री और फिडल कास्त्रो के दाये हाथ थे। सम्भवत: उन्हे इतिहास में बोलिवर के बाद का सबसे महत्वपूर्ण महाद्वीपीय व्यक्तित्व माना जाय। उनके नाम के चारो ओर गाथाएँ रची जानी हैं।

वे चीनियों और रूसियों के बीच चल रहे सैध्दान्तिक झगड़ों से परेशान र्माक्सवादी थे। वे सम्भवत: अन्तिम व्यक्ति थे जिन्होने दोनों के बीच का रास्ता खोजने की कोशिश की और सभी जगहों पर संयुक्त राज्य के विरुध्द क्रान्तिकारी ताकतों को एकत्र करने की मुहिम चलायी। वे अब मृत हैं लेकिन यह सोचना कठिन है कि उनके विचार भी उनके साथ मर जायेंगे।


अनुवाद: रघुवंशमणि

11 comments:

Satyendra Prasad Srivastava said...

जीवंत चित्रण। महानायक को मेरा सलाम

विशाल श्रीवास्तव said...

चे को याद करते हुए इसे पढ़ने से बेहतर शायद कुछ नहीं हो सकता

बोधिसत्व said...

आज फेरा लगा पाया हूँ.....वाङ्मय का अच्छा लगा चे के बारे में पढ़ कर

चंदन कुमार मिश्र said...

बहुत अच्छा। आभार। चे की सारी चीजें एक जगह हिन्दी में लाई जायँ तो बेहतर होगा।

Unknown said...

Thanks for translate...........

Unknown said...

Thanks for translate...........

Unknown said...

Thanks for translate...........

Khanreshma175@gmail.com said...

bhut bhut sukriya apka .wo such me ek mahan krantikari youdha the jinhone logo ke bare me itna soch or apni kiritiya bhi likhi jo ek uphaar ke roop me hai.

Unknown said...

Thanks for translate

guruji said...

legends never die

guruji said...

legends never die