Saturday, October 06, 2007

बौध्दिक घृणा के दौर में गाँधी जी

डायरी

बौध्दिक घृणा के दौर में गाँधी जी

अंग्रेजी के प्रसिध्द कवि डब्लू. बी. यीट्स ने लिखा है कि बौध्दिक घृणा सबसे बुरी चीज होती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस बात की प्रासंगिकता हमारे आतंकवादग्रस्त समय में यीट्स के समय से थोड़ा ज्यादा ही है। हालांकि हम यह नहीं भूल सकते कि यीट्स का समय द्वितीय विश्वयुध्द और नाजीवाद से ग्रस्त समय था। शायद हम अपने समय को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि हम स्वयं उसमें अस्तित्वमान होते हैं। एक विचारक के रूप में मैं भी इस नियम का अपवाद नहीं।


यह बात इधर गाँधी जी के विचारों के सिलसिले में ज्यादा समझ में आयी। श्रीमती सोनिया गाँधी ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में विश्व अहिंसा दिवस के सिलसिले में बोलते हुए कहा कि महात्मा गाँधी ने हमें एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना सिखलाया। पता नहीं क्यों अब लगता है कि समय बीतने के साथ-साथ गाँधी के विचाार नये तरह से प्रासंगिकता प्राप्त करने लगे हैं। हम चाहे जितना कहें कि चारो तरफ हिंसा ही हिंसा है, भ्रष्टाचार का बोलबाला है, प्रजातांत्रिक मूल्यों का रास्ता हर हाल में गाँधी जी के विचारों से होता हुआ ही गुजरता है। पश्चिम द्वारा अब उन्हें महज एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा उनको दिया गया सम्मान यही दर्शाता है।

गाँधी जी के लिए बौध्दिक सहिष्णुता का महत्व बहुत अधिक था। आज हमने इस मूल्य को पूरी तरह से खो दिया है। धर्म और जाति के झगड़े हमें किस दिया में ले जा रहे हैं? इस बारे में कट्टरतावादियों की क्या सोच है? इस विषय पर खुले मन से विचार नहीं ही हो पा रहा।

लेकिन सबसे बड़ी बात तो साधन की पवित्रता की है जिसकी ओर गाँधी जी ने संकेत किया था। संकेत ही नहीं व्यवहार भी। इस बात के महत्व को अभी हम नहीं समझ सके हैं। सम्भवत: अभी और नुकसान उठाने के बाद ही हम इस बात के महत्व को ठीक से समझ सकेंगे।

2 comments:

बोधिसत्व said...

साहित्य में यही घृणा मत्सर भाव बन कर छा जाती है...या कहें कि छाई है....
अच्छा लिख रहे हैं भाई...

विशाल श्रीवास्तव said...

बाकी सब तो ठीक है पर अमेरिका का यह विश्व अहिंसा दिवस आैर गांधी का सम्मान तो मुझे ड्रामा लगता है। आप इराक को नेस्तनाबूद करने के बाद ईरान, उत्तर कोरिया पर हमले की तैयारी में हैं आैर अिहंसा की बात करते हैं ... ये तो तमाशा है