Saturday, February 13, 2010

कल के लिए

सम्मान्य महोदय/महोदया,


हमारा समय एक कठिन दौर रहा है जिसमें समाज और संस्कृति को अनेकानेक समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है। अपसंस्कृति, साम्राज्यवाद, साम्प्रदायिकता, आर्थिक और सामाजिक विसंगतियाँ लेखन को सामाजिक दायित्व समझने वाले हमारे-आप जैसें लेखकों के समक्ष कठिन चुनौतियों के रूप में रही हैं जिनसे हम लगातार जूझते रहे हैं। कल के लिए इन ज्वलंत प्रश्नों को सामने रखकर निकलने वाली अपने समय की एक महत्वपूर्ण पत्रिका रही है। इसे आप जैसे प्रबुध्द साथियों का प्यार और सहयोग लगाातार प्राप्त होता रहा है जिसके चलते इस पत्रिका ने अपने संस्थापक-सम्पादक श्री जयनारायण के कुशल नेतृत्व में सफलतापूर्वक अपने सोलह वर्ष पूरे किये हैं।

पत्रिका आज भी अपनी इन्ही प्रतिबध्दताओं से जुड़ी रहते हुए समकालीन सृजनात्मकता को समृध्द करने के कार्य में सन्नध्द है। मगर भाई जयनारायण जी की स्वास्थ सम्बन्धी समस्याओं को देखते हुए मुझे और भाई अम्बर बहराईची को उनके द्वारा संयुक्त रूप से पत्रिका को सम्पादकीय सहयोग प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उर्दू साहित्य से जुड़ी सामग्री का सम्पादन अम्बर बहराईची करेंगे। मुझे पत्रिका के लिए हिन्दी सामग्री का सम्पादन कार्य देखना है।

इस गुरुतर दायित्व का निर्वहन आप जैसे शुभेच्छु मित्रों और प्रतिबध्द एवं समर्थ लेखकों के सहयोग के बिना संभव नहीं है। पत्रिका के पहले से प्रकाश्य अगले दो विशेषांक शीघ्र ही आपके हाथो में होंगे। उसके बाद प्रकाशित होने वाले सामान्य अंकों के लिए आपके सहयोग के हम आकांक्षी हैं। विश्वास है कि आप अपनी श्रेष्ठ रचनाएँ हमें प्रेषित कर पत्रिका को अपना रचनात्मक सहयोग प्रदान करेंगे।ं

सहयोग की आशा के साथ,

आपका


रघुवंशमणि

कार्यकारी सम्पादक
कल के लिए

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