Sunday, July 20, 2008

पं. प्रेमशंकर मिश्र का अवसान

पं. प्रेमशंकर मिश्र का अवसान

डॉ. रमाशंकर तिवारी त्रिभुवन ट्रस्ट
10, गंधमादन, लक्ष्मणपुरी फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश



शोक प्रस्ताव



कल 16.07.2008 की रात हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि और संस्कृतिकमी पं. प्रेमशंकर मिश्र जी का 83 वषZ की अवस्था में फैज़ाबाद के जिला चिकित्सालय में एक सप्ताह की बीमारी के बाद निधन हो गया। पं. प्रेमशंकर मिश्र को कविता अपने पिता द्विजेष जी से परम्परा में प्राप्त हुई थी। प्रारिम्भक दौर की पारम्परिक कविताओं के बाद वे नयी कविता और नवगीत आन्दोलनों से जुड़े और पर्याप्त ख्याति अर्जित की। प्रसिद्ध नवगीतकार शंभुनाथ सिंह ने मिश्र जी की कविताओं को अपने नवगीत संकलन नवगीत अर्धशती में स्थान देकर आपके महत्व को दषZया था। जीवन के अन्तिम दिनों तक वे कविता और संस्कृति के प्रति समर्पित रहे। सामान्य जीवन के सुखों और दुखों को अभिव्यक्ति देने वाली प्रेमशंकर मिश्र जी की कविता में साहित्य की कई परम्पराएं एक साथ चलती दिखायी देती हैं। पं. मिश्र जी के निधन से कविता की इन धाराओं की गंभीर क्षति हुई है।

संस्कृतिक परिवेश के निर्माण के उद्देश के प्रति समर्पित पं. प्रेमशंकर मिश्र जी की संस्था सम्पर्क ने फैजाबाद में साहित्य और संस्कृति से जुड़ी कई पीढ़ियों के लिए आगे बढ़ने का आधार निर्मित किया। अपनी संवादधमी प्रकृति के चलते वे विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े लोगों से विचार-विमष करते रहे। मनोविनोद की उनकी जीवन्त प्रवृत्ति ने साहित्यजगत में ही नहीं वरन् सामान्य जीवन में भी उन्हें लोकप्रिय बनाया। फैज़ाबाद के साहित्य और संस्कृति जगत में उनका अविस्मरणीय योगदान सदा याद किया जायेगा।

वे डॉ. रमाशंकर तिवारी त्रिभुवन ट्रस्ट के प्रारिम्भक सदस्यों में से थे। उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान के साहित्य भूषण सम्मान मिलने के अवसर पर ट्रस्ट ने भी उन्हें सम्मानित किया था। कुछ समय पूर्व ट्रस्ट के तत्वावधान में पं. प्रेमशंकर मिश्र जी का एकल काव्यपाठ आयोजित किया गया था जिसे सहित्य प्रेमियों ने बहुत सराहा था। शोकाकुल मन से हमें यह कहना पड़ रहा है कि उनके अवसान से ट्रस्ट ने अपना अतिमहत्वपूर्ण और विशष्सनीय सहयोगी खो दिया है। यह हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है। पं. प्रेमशंकर मिश्र जी की स्मृतियॉं हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।




रघुवंश मणि
साहित्य सचिव

4 comments:

ओमप्रकाश तिवारी said...

बंधुवर ,
पं.प्रेमशंकर मिश्र जी के स्वर्गवास पर मेरी ओर से शोक संवेदनाएं स्वीकार करें । मैं भी आपके ही जनपद का निवासी हूँ । बहुत दूर हूँ , अन्यथा साथ बैठकर पं. मिश्र की साहित्यिक यादों को ताजा करते ।
सादर,
ओमप्रकाश तिवारी

Udan Tashtari said...

पं. प्रेमशंकर मिश्र जी को श्रृद्धांजलि.

बोधिसत्व said...

बहुत दुखद खबर है, मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ...

अनुराग मिश्र said...

Pundit Premshankar Mishra ke nidhan par Ramashankar Tiwari Tribhuwan Trust dwara padhe gaye shok prastawa mein, main apni bhi shraddhanjali ko sammilit karta hoon.
Trust ne aapke sanyojan mein unka jo shaandar kavya-path karaya tha wo abhi bhi meri smriti mein jyon ka tyon hai!