Sunday, February 22, 2009

कपिलदेव की आलोचना पुस्तक

डायरी

कपिलदेव की आलोचना पुस्तक

कपिलदेव हिन्दी साहित्य के सुपरिचित आलोचक हैं। ब्लागर मित्रों में साहित्यिक रुचि के लोग इस नाम से बखूबी परिचित होंगे। उनकी समीक्षाएँ और लेख विभिन्न पत्रि में प्रकाशित होते रहे हैं। बहुत समय से उनकी उनकी आलोचना पुस्तक की प्रतीक्षा थी। अन्तत: यह प्रतीक्षा खत्म हुई और वे अपनी पुस्तक अंतर्वस्तु का सौंदर्य लेकर मैदान में आ गये।

हाल में ही कपिलदेव के अपने ही शहर गोरखपुर में एक भीगी सुबह नामवर जी ने अपनी व्यस्तताओं के बीच समय निकाल कर अन्तर्वस्तु का सौंदर्य का लोकार्पण कर दिया। पुस्तक को विमोचित करते हुए उन्होंने कपिलदेव की समझदारी की भूरि भूरि प्रशंसा की और उनकी कृतियों में निहित आलोचकीय अन्तर्दृष्टि की चर्चा की। 'बाघ' कविता पर उनके लेख की चर्चा करते हुए उन्होंने इसे केदार जी की उक्त कविता पर महत्वपूर्ण समीक्षा माना। कुल मिलाकर नामवर जी ने हिन्दी में एक महत्वपूर्ण आलोचक की पुस्तक का जोरदार स्वागत किया। देर आयद दुरुस्त आयद।

कपिलदेव दर्शनशास्त्र से साहित्य में उतरे हैं इसलिए वे साहित्य के मुद्दों को काफी गहराई तक ले जाकर विचार करते हैं। जो पाठक इस पुस्तक में रुचि रखते हों वे उनकी पुस्तक का मुखपृष्ठ उनके ब्लाग पर देख सकते हैं और अन्य जरूरी बातें जान सकते हैं। इस पुस्तक को मानव प्रकाशन, कलकत्ता ने छापा है।